कोरोनावायरस से मुक्ति तो मिली नहीं है अब तक और ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस ने भी अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है। कोरोनावायरस संक्रमण से कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण फंगल इन्फेक्शन का शिकंजा निरंतर कसने लगा है।एक तरफ तो ब्लैक फंगस के जानलेवा रूप के कारण केंद्र सरकार ने राज्यों से इसे महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत महामारी घोषित करने को कहा है। राजस्थान और हरियाणा के बाद तमिलनाडु, तेलंगाना एवं पंजाब ने गुरुवार को इस महामारी घोषित कर दिया है। अन्य राज्यों से भी इस निर्देश के बाद शीघ्र ही निर्णय लेने की उम्मीद है परन्तु इसके साथ ही व्हाइट फंगस के दस्तक ने भी लोगों की बेचैनी में इजाफा किया है।
पीएमसीएच अर्थात् पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (बिहार) में माइक्रोबायोलॉजी के एचओडी डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने बताया कि एक सर्जन सहित उनके चार परिचितों में कोरोना जैसे लक्षण मौजूद थे। इसके बावजूद एंटीजन रैपिड,एंटीबाडी रैपिड एवं आरटी पीसीआर जांच निगेटिव दिखा रहा था। एचआरसीटी में फेफड़ों में संक्रमण दिखाई दे रहा था और ऑक्सीजन लेवल भी कम ही था। व्हाइट फंगस के भी ऐसे लक्षण होने के कारण उनके बलगम की माइक्रोस्कोपिक एवं कल्चर की जांच किए जाने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आ गया। इसके बाद एंटी फंगल मेडिसिन दिए जाने पर चारों का ऑक्सीजन लेवल सामान्य स्तर पर आ गया। और तो और, एम्स पटना(बिहार) की डॉ.क्रांति भावना का कहना यह है कि आसपास के वातावरण में ही कई तरह के फंगस होते हैं तथा जिनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता कमजोर होती है,उनको यह संक्रमित कर देते हैं।
देखा जाए तो इस तरह की रिपोर्ट से इस बात की पुनः पुष्टि होती है कि शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से, साथ ही सतर्क रहने, साफ-सफाई पर अत्यधिक ध्यान रखने एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों के परामर्श के मुताबिक समय रहते इलाज कराने से ही कोरोनावायरस व ब्लैक व व्हाइट फंगस जैसे जानलेवा बीमारियों से बचाव संभव है।