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जीवनी/विकी | |
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जन्म नाम | तेजवंत कौर सूरी |
उपनाम | बुने |
पेशा | सामाजिक कार्यकर्ता |
के लिए प्रसिद्ध | बॉलीवुड मेगास्टार अमिताभ बच्चन की मां होने के नाते |
पर्सनल लाइफ | |
जन्मदिन की तारीख | 12 अगस्त, 1914 (बुधवार) |
जन्म स्थान | लायलपुर, पंजाब, ब्रिटिश भारत (वर्तमान फैसलाबाद, पंजाब, पाकिस्तान) |
मौत की तिथि | 21 दिसंबर 2007 (शुक्रवार) |
मौत की जगह | लीलावती अस्पताल, मुंबई |
आयु (मृत्यु के समय) | 93 वर्ष |
मौत का कारण | लंबी बीमारी |
राशि – चक्र चिन्ह | शेर |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | लाहौर, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान में) |
धर्म | सिख धर्म |
नस्ल | खत्री [1]दैनिक एशियाई युग |
राजनीतिक झुकाव | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस [2]एनडीटीवी |
रिश्ते और भी बहुत कुछ | |
वैवाहिक स्थिति (मृत्यु के समय) | विधवा |
शादी की तारीख | वर्ष, 1941 |
परिवार | |
पति/पति/पत्नी | हरिवंश राय बच्चन (कवि) |
बच्चे | बेटा– दो • अमिताभ बच्चन (अभिनेता) • अजिताभ बच्चन (व्यवसायी) बेटी– कोई भी नहीं सौतेली कन्या– ऐश्वर्या राय बच्चन (अभिनेत्री) पोता-अभिषेक बच्चन (अभिनेता) पोती-श्वेता बच्चन नंदा प्रपौत्री-आराध्या बच्चन |
अभिभावक | पिता– खजान सिंह सूरी (ब्रिटिश भारत में बैरिस्टर) माता– अज्ञात नाम |
वंश – वृक्ष |
वह कभी भी नहीं, खड़ी थी। “
मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। चाची तेजी मेरी दूसरी… नहीं, मेरी तीसरी मां (अपनी मां और सास इंदिरा गांधी के बाद)। अमित और बंटी (अजिताभ) मेरे भाई हैं।”
उसने मुझे थिएटर, फिल्म और संगीत… और बॉलरूम डांसिंग से परिचित कराया… एक रात वह मुझे दिल्ली के कनॉट प्लेस के लोकप्रिय रेस्तरां गेलॉर्ड्स के डांस फ्लोर पर ले गई।” [3]आर्थिक समय
एक दिन जब मुन्ना 22 घंटे काम करके घर लौटा, तो बच्चनजी ने उससे कहा: ‘देखो मुन्ना एक रोटी भी बहुत है’। मुन्ना ने जवाब दिया, ‘पापा मुझे आज भी याद है, मैं भूल नहीं, आप कहते हैं रोटी बड़ी मुश्किल से मिलती है, आज मैं कहता हूं पैसे बड़ी मुश्किल से मिलता है।’
माँ के जन्म की सालगिरह है..12 अगस्त..जब आप असफल हुए, तो उन्होंने सांत्वना दी और आशा दी..जब आप सफल हुए, तो रोई..अपने अंतिम दिनों तक, यह जानने पर जोर दिया कि क्या उन्होंने खाया था..और कब वह चली गई, उसने सलाह दी, देर से नहीं आना… मेरे पास पहले से ही पोते-पोतियां थीं… लेकिन वह है माँ !!”
इलाहाबाद के उन शुरुआती वर्षों में, जब मा ने मेरे कानों में गुरबानी के शाश्वत पवित्र और दिव्य शब्दों का पाठ किया और गाया … ‘तति वार न जावे’।